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भाईचारे का गलियारा

श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए बना करतारपुर कॉरिडोर आज खुल जाएगा। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे जबकि पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री इमरान खान कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन के लिए आज देश से जो पहला जत्था वहां पहुंचेगा, उसमें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा अन्य कई प्रमुख नेता शामिल होंगे।


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पिछले साल भारत में 26 नवंबर को और पाकिस्तान में 28 नवंबर को इस कॉरिडोर का शिलान्यास किया गया था। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिखों के पवित्रतम स्थानों में से एक है। अभी तक सीमा के पास से लोग दूरबीन से इसकी झलक भर देख पाते थे लेकिन अब वहां जाकर इसके दर्शन करने की उनकी इच्छा पूरी हो गई है। भारत सरकार इसके लिए दशकों से प्रयासरत थी लेकिन पाकिस्तान के सकारात्मक रवैये से सिख समुदाय का यह सपना अब साकार हो रहा है। दरअसल, अब तक जब भी इसकी कोशिश परवान चढ़ी, भारत-पाक तनाव इसके आड़े आ गया। 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ के कार्यकाल में आपसी गर्मजोशी के बीच यह प्रस्ताव पहली बार आया तो जल्द ही करगिल युद्ध के कारण ठंडे बस्ते में चला गया। दूसरी बार बात आगे बढ़ी तो 2008 का मुंबई आतंकी हमला हो गया। अभी अगस्त 2018 में जब पाकिस्तान ने यह कॉरिडोर बनाने के अपने इरादे को 550वें प्रकाश पर्व से जोड़ा तो मामला तेजी से आगे बढ़ा लेकिन उसके बाद पुलवामा की घटना से गंभीर तनाव पैदा हुआ जो आज भी जारी है। हाल-फिलहाल तक लगता रहा कि मामला फिर कहीं पटरी से न उतर जाए।
सीमा पर तकरीबन रोज ही जवान मारे जा रहे हैं और कूटनीतिक स्तर पर तल्खी बरकरार है। कुछ हलकों में एक बड़ा डर यह जताया जा रहा है कि सिख श्रद्धालुओं का दिल जीतने की चाहत से ज्यादा इस पहल के पीछे खालिस्तानी आतंकियों के लिए ठोस जमीन तैयार करने की पाकिस्तानी साजिश हो सकती है। अब तक की पृष्ठभूमि को देखते हुए इस डर को खारिज भी नहीं किया जा सकता लेकिन उम्मीद करें कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाएं और सभी मनुष्यों को एक समान मानने की गुरु नानक देव की दोनों ही मुल्कों में फैली शिक्षा, कूटनीति और सियासत पर भारी पड़ेगी।
देश विभाजन का सबसे गहरा जख्म पंजाब और वहां भी सिखों ने झेला है। इसे मिटाने और साझी संस्कृति को समृद्ध बनाने का इससे बेहतर मौका और नहीं मिल सकता है। पूरी उम्मीद है कि करतारपुर गलियारा दोनों मुल्कों की जनता की आपसी कड़वाहट खत्म करने और आपसी सौहार्द बढ़ाने का जरिया बनेगा और यह भारत-पाक भाईचारे का गलियारा साबित होगा। हालांकि, इसके साथ ही हमें अपनी सुरक्षा-व्यवस्था को भी चाक-चौबंद रखना होगा ताकि खतरे की गुंजाइश न रहे ।


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