देशभर के नैशनल हाइवेज के टोल प्लाजा पर इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट से टैक्स वसूली का फास्टैग सिस्टम कल आधी रात से लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने इस तकनीक का इस्तेमाल डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रदूषण कम करने और लंबी लाइनों से निजात दिलाने के लिए कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने अभी तक सभी वाहनों के आरएफआईडी आधारित फास्टैग जारी न हो पाने के कारण थोड़ी राहत दी है। फिलहाल टोल प्लाजा पर 100 फीसदी के बजाय 75 फीसदी टोल लेन पर ही इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) के जरिये फास्टैग से शुल्क काटा जाएगा। शेष 25 फीसदी लेन पर वाहन मैनुअल तरीके से टोल चुकाकर यात्रा कर पाएंगे।
केंद्रीय सडक़ परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को शनिवार को दिए आदेश में अगले 30 दिन तक यह व्यवस्था बनाए रखने के लिए कहा है। इसके बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि चार पहिया वाहनों के लिए फास्टैग कहां से मिलेगा और और इसके लिए कितने खर्च करने होंगे। आज हम आपको इसी से संबंधित पूरी जानकारियां देने जा रहे हैं।
यह एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है जो नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा पर उपलब्ध है। यह तकनीक रेडिया फ्रीक्वेंसी आइडेन्टिफिकेशन के प्रिंसिपल पर काम करता है। इस टैग को वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है ताकि टोल प्लाजा पर मौजूद सेंसर इसे रीड कर सके। जब कोई वाहन टोल प्लाजा पर फास्टैग लेन से गुजरती है तो ऑटोमैटिक रूप से टोल चार्ज कट जाता है। इसके लिए वाहनों को रुकना नहीं पड़ता है। एक बार जारी किया गया फास्टैग 5 साल के लिए एक्टिवेट रहता है। इसे बस समय पर रिचार्ज करना पड़ता है।
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