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लोकसभा में पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल

विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो हमें विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती : अमित शाह 


लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है जिसके साथ ही अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता भी साफ़ हो गया है ।


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लोकसभा में सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है। इन लोगों ने भारत के प्रति विश्वास रखते हुए ही हमारे देश में आए,कि भारत उन्हें अपने यहाँ पनाह देगा ऐसे लोगो को भारत की नागरिकता जरूर मिलेगी। ये हमारी मात्र भूमि के ही लोग है। शाह ने कहा, '' मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता। अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो हमें इस विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।'' उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते को काल्पनिक बताया और कहा तभी ये समझौता विफल हो गया और हमें ये विधेयक लाना पड़ा।


अमित शाह बोले -एनआरसी लागू हो के रहेगा , विधेयक के समर्थन में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े 


शाह ने कहा कि देश में एनआरसी  लागू हो कर रहेगा और देश में एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा । उन्होंने कहा देश में रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जायेगा। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते हुए देश में किसी धर्म के लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह सरकार सभी को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी।विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े।  शिवसेना ,बीजद,वाईएसआर कांग्रेस ने विधेयक के समर्थन में वोट किया। 


नहीं हो रहा धर्म के आधार पर भेद-भाव: अमिता शाह  


गृहमंत्री अमित शाह ने अपने जवाब में कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी। जबकि बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो घटकर 2011 में 7.8 प्रतिशत हो गयी। उन्होंने कहा कि भारत में 1951 में हिन्दू 84 प्रतिशत थे जो 2011 में कम होकर 79 ही फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये। उन्होंने कहा यह कहना गलत होगा कि भारत में धर्म के आधार पर भेद-भाव हो रहा है। ये आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं। धर्म के आधार पर बटवारा जिन्ना और कांग्रेस की देन हैं। अगर कांग्रेस जिन्ना की दो-राष्ट्र की नीति का विरोध करती तो हमें ये बिल नहीं लाना पड़ता। ये एक ऐतिहासिक सत्य है कांग्रेस इसे झुठला नहीं सकती। 


इन शरणार्थियों को मिलेगी भारत की नागरिकता


जो शरणार्थी 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आएं है उन सभी को भारत की नागरिकता दी जाएगी। अफगानिस्तान, बांग्लादेश , पाकिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।  ये सभी लोग इन तीनो देशो से धर्मिक प्रताड़ना के कारण भारत की शरण में आये हैं।


प्रधानमंत्री ने की अमित शाह की तारीफ 


प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में विधेयक पास होने पर गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ की और उनको बधाई दी। बीजेपी सांसद और एनडीए के सांसदों ने भी अमित शाह को विधेयक पास होने की बधाई दी।  


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