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राज्यसभा ने भी लगाई नागरिकता विधेयक पर अपनी मुहर

राज्यसभा में चली 7 घंटे की लंबी चर्चा के बाद नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया । विपक्ष ने चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा किया पर वह बिल को पारित होने से नहीं रोक पाया । नतीजा यह रहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक  राज्यसभा से भी पारित हो गया ।



विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े और विपक्ष में 105 मत । इसी के साथ ही अफगानिस्तान , बांग्लादेश , पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना झेलने वाले समुदायों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया । इसमें हिन्दू, सिख , ईसाई, पारसी , बौद्ध ,जैन आदि समुदाय के लोग शामिल हैं ।


विपक्ष की मांग थी कि विधेयक को  प्रवर समिति के पास भेजा जाए विपक्ष की इस मांग को भी बहुमत से खारिज कर दिया । लोकसभा में शिवसेना ने बिल का समर्थन किया था  परंतु  राज्यसभा में वह विधेयक का हिस्सा नहीं बने।गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पारित होने के बाद अपनी खुशी जताई और विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वह देश के मुसलमानों के मन में संशय पैदा कर रहे हैं ।


उन्होंने साफ कहा कि इस बिल का मतलब किसी की नागरिकता छीनना नहीं है बल्कि जो दूसरे देशों से प्रताड़ित अल्पसंख्यक समाज है उनको नागरिकता देने वाला बिल है । उन्होंने फिर एक बार साफ किया कि अगर देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो हमें यह बिल लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती ।


नागरिकता विधेयक कानून और संविधान सम्मत है :अमित शाह


गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया जिसमें  विधायक को संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ बताया गया था और कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में यह टिक नहीं पाएगा । अमित शाह ने इसके जवाब में कहा यह विधेयक पूरी तरह से कानून और संविधान सम्मत है । श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों का मुद्दा भी विपक्ष ने उठाया । इस पर गृह मंत्री ने कहा यह बिल विशेष समाधान के लिए लाया गया है जब श्रीलंकाई  शरणार्थियों का मामला आएगा तो सरकार उसका भी समाधान  निकालेगी ।


प्रधानमंत्री मोदी ने  विधेयक पारित होने पर खुशी जताई


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा से बिल के पास होने पर अपनी खुशी जताई उन्होंने विधेयक का समर्थन करने वाले सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद दिया । उन्होंने कहा यह एक ऐतिहासिक दिन है यह विधेयक सालों से प्रताड़ना झेल रहे लोगों के दुखों को दूर करने वाला है ।


वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नागरिकता संशोधन बिल के पारित होने पर इसको संवैधानिक इतिहास का काला दिन बताया ।


 


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