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सवाल वही है- आखिर कब तक ?

हैदराबाद में महिला चिकित्सक के साथ हुए जघन्य अपराध से पूरा देश आक्रोशित है और गुस्से से उबल रहा है। देश पूछ रहा है आखिर दोषियों को सजा कब मिलेगी ?हमारे देश की बेटियां आखिर कब तक बेआबरू होती रहेगी ? भारत देश जहाँ बेटियों को देवी का दर्जा दिया जाता है, बेटियों की पूजा की जाती है, उसी देश में बेटियों की इज्जत को तार-तार किया जाता है। अपराधियों के अंदर क़ानून का डर ही नहीं रहा। हमारी सरकारें कड़े क़ानून बनाने का दावा करती है ,पर क्या उन कानून का सही इस्तेमाल हो पाता है ? अपराधिक मानसिकता के लोगों के मन में कानून का डर है ही नहीं।


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अगर बलात्कारियों को सही समय पर फांसी के फंदे पर लटका दिया जाता तो उनके मन में कानून का डर होता पर हमारा सिस्टम लाचार और असहाय नजर आता है। आप को याद होगा वर्ष 2012 में निर्भया रेप कांड हुआ था उनके दोषियों को अभी तक फांसी नहीं हो पाई है। कोर्ट ने सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी पर आज 2019 में भी निर्भया के माता-पिता इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं। इनमे से एक की दया याचिका आज भी राष्ट्रपति के पास लंबित है। अगर इन सभी दोषियों को फांसी हो जाती तो शायद हैदराबाद में जो कुछ हुआ वो नहीं होता। इसके साथ ही निर्भया के माता-पिता को भी इन्साफ मिल जाता और देश की तमाम बेटियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करती।


हमारा भी दायित्व है की हम अपने बच्चो को अच्छे संस्कार दे क्योंकि इसकी शुरुआत घर से ही होती है। अपने बेटों को लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं। जो सवाल हम अपनी बेटियों पर उठाते है वही सवाल अपने बेटों से भी पूछे, कि वो इतनी रात को कहा से आ रहा है? किसके साथ था ?क्या कर रहा था ? तभी जा के सही में हमारी बेटियां सुरक्षित होंगी। 


सरकारों का भी ये दायित्व है कि इस तरह की घटना पर गंभीरता दिखाते हुए दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले। बेटियों को समय पर इंसाफ मिलें। फार्स्ट ट्रैक कोर्ट बनाये जाएं जो एक नियमित समय अवधि पर सजा सुना सके। बलात्कारियों की उम्र देखने की बजाय उनके जुर्म के हिसाब से सजा मिले। पुलिस को भी ये निर्देश दिया जाये की वो अपना पल्ला न झाड़े। बेटियों को थाने के चक्कर न काटने पड़े। पुलिस तत्परता दिखाते हुए तुरंत कारवाई करे। अगर यही तत्परता हैदराबाद पुलिस ने दिखाई होती तो उस रात वो हैवानियत भरी घटना न घटी होती और वो चिकित्सक आज जिन्दा होती। कोर्ट को भी एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाना चाहिए जो देश में एक मिसाल बन सकें।  


सवाल वही है - हमारी सरकार, हमारा सिस्टम, पुलिस प्रशासन अभी भी नींद से जागेंगे या फिर किसी ऐसे अपराध के होने का इंतजार करेंगे? गाँधी जी ने भी कहा था जब देश की बेटियां रात को भी सुरक्षित अपने घर आ जा सके वो भी अकेले तभी उन्हें सही मामले में आजादी मिलेगी। ये एक गहन चिंतन का विषय है। अब यही देखना है हमारा सिस्टम जागता है आखिर कब तक ?....  


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